Recession - Full Explanation

क्या 2024 में भारत में मंदी आएगी?(Will there be a Recession in India in 2024 OR Are We in a Recession Right Now)

Recession (मंदी)

2024 में भारत में मंदी आने की संभावना को लेकर अलग-अलग राय हैं। आइए, कुछ तथ्यों पर गौर करें :-
आरबीआई का अनुमान : भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए 6.5% जीडीपी वृद्धि का अनुमान लगाया है। इसका मतलब है कि अर्थव्यवस्था अभी भी बढ़ रही है।
वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट : वित्त मंत्रालय की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि मजबूत निवेश और निर्यात के कारण भारत की वृद्धि वैश्विक मंदी के बावजूद मजबूत रह सकती है।
विश्व बैंक का दृष्टिकोण : विश्व बैंक ने भारत के लिए 6.6% जीडीपी वृद्धि का अनुमान लगाया है, जो वैश्विक औसत से अधिक है।

हालांकि, कुछ चुनौतियां भी हैं :-
महंगाई : बढ़ती महंगाई लोगों की खरीदने की क्षमता को कम कर सकती है।
वैश्विक मंदी : अगर वैश्विक स्तर पर मंदी आती है, तो भारत भी इससे प्रभावित हो सकता है।
Geopolitical Tension : अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक तनाव का भी असर हो सकता है।

अभी यह कहना मुश्किल है कि 2024 में भारत में मंदी आएगी या नहीं। बहरहाल, यह जरूरी है कि हम आने वाली चुनौतियों के लिए तैयार रहें और आर्थिक रूप से समझदारी से चलें।

What is called a Recession?(मंदी क्या है?)

मंदी क्या है?

अर्थव्यवस्था में उतार-चढ़ाव का एक चरण जिसे "मंदी" (Recession) कहा जाता है। इस दौरान कुछ महत्वपूर्ण संकेत दिखते हैं :-

1. लगातार दो तिमाहियों या उससे ज्यादा जीडीपी (GDP) में गिरावट : GDP किसी देश में एक निश्चित समय में उत्पादित कुल माल और सेवाओं का मूल्य होता है।
2. बेरोजगारी दर में वृद्धि : जितने ज्यादा लोग बेरोजगार होंगे, अर्थव्यवस्था उतनी ही कमजोर होगी।
3. औद्योगिक उत्पादन में कमी : कारखानों आदि में कम उत्पादन होने से आर्थिक गतिविधियां कम हो जाती हैं।
4. खुदरा बिक्री में गिरावट : लोगों की खरीदने की क्षमता कम होने से बिक्री कम हो जाती है।
5. शेयर बाजार में गिरावट : मंदी के दौरान कंपनियों का प्रदर्शन कमजोर होने से शेयर बाजार भी घटता है।

दूसरे शब्दों में कहें, तो मंदी तब होती है जब अर्थव्यवस्था की सभी दिशाओं में गिरावट आती है, जिससे जीवनयापन कठिन हो जाता है। यह एक अस्थायी स्थिति होती है, लेकिन इससे उबरने में समय लग सकता है।

What are 5 effects of Recession? (मंदी के 5 प्रभाव)

1. बेरोजगारी बढ़ना: कंपनियां लागत कम करने के लिए कर्मचारियों की छंटनी करती हैं, जिससे बेरोजगारी बढ़ जाती है और लोगों की आय कम हो जाती है।
2. खरीदने की क्षमता कम होना: मंहगाई बढ़ने और आय कम होने से लोगों की खरीदने की क्षमता कम हो जाती है, जिससे बाजार में मांग कमजोर हो जाती है।
3. निवेश कम होना: अनिश्चितता के कारण कंपनियां नए निवेश कम करती हैं, जिससे आर्थिक विकास धीमा हो जाता है।
4. बैंकों द्वारा कर्ज मिलना मुश्किल होना: आर्थिक स्थिति खराब होने पर बैंक कर्ज देने में सतर्कता बरतते हैं, जिससे लोगों और कंपनियों को जरूरत के समय पैसा जुटाना मुश्किल हो जाता है।
5. मानसिक तनाव बढ़ना: आर्थिक चुनौतियों के कारण लोगों में तनाव और चिंता बढ़ सकती है, जिससे उनका जीवन स्तर प्रभावित होता है।
ध्यान दें: यह सिर्फ कुछ मुख्य प्रभाव हैं। मंदी के अलग-अलग लोगों और समुदायों पर भिन्न प्रभाव पड़ सकते हैं।


 The Different Phases Of a Recession (मंदी के चरण और उनकी अवधि)

मंदी आमतौर पर चार चरणों से गुजरती है :-
1. विस्तार (Expansion): यह वो चरण है जहां अर्थव्यवस्था अच्छी स्थिति में होती है, जीडीपी बढ़ता है, रोजगार बढ़ता है, उपभोग और निवेश बढ़ता है। लेकिन, धीरे-धीरे ब्याज दरें बढ़ सकती हैं, जिससे वृद्धि धीमी पड़ने लगती है।
2. शिखर (Peak): अर्थव्यवस्था अपने उच्चतम बिंदु पर पहुंच जाती है। कंपनियां मुनाफे को अधिकतम करने के लिए उत्पादन बढ़ा देती हैं।
3. संकुचन (Contraction): यह आधिकारिक मंदी का चरण है. जीडीपी घटने लगता है, बेरोजगारी बढ़ती है, कंपनियां लागत कम करने के लिए निवेश घटाती हैं और कर्मचारियों की छंटनी करती हैं।
4. गर्त (Trough): अर्थव्यवस्था अपने सबसे निचले बिंदु पर पहुंच जाती है। मंदी के अंत का संकेत मिलने लगता है।

When does a Recession End? (मंदी कब खत्म होती है?)

Recession 

यह कहना मुश्किल है कि मंदी कब खत्म होगी। आमतौर पर, जब लगातार दो तिमाही जीडीपी वृद्धि होती है, तब मंदी को समाप्त माना जाता है। लेकिन, अर्थव्यवस्था पूरी तरह से ठीक होने में लंबा समय लग सकता है।

How long did the 2008 Recession Last? (2008 की मंदी कितनी देर चली?)

2008 की वैश्विक मंदी दिसंबर 2007 से जून 2009 तक चली, यानी लगभग 18 महीने। लेकिन, अर्थव्यवस्था को पूरी तरह से ठीक होने में कई साल लग गए।

मंदी की गंभीरता (Severity Of Recessions): कितनी खतरनाक होती है मंदी? (How Bad is a Recession?)

मंदी की गंभीरता को समझने के लिए दो पहलुओं पर ध्यान देना जरूरी है :-
1. आर्थिक गिरावट का स्तर:
• हल्की मंदी: जीडीपी में 1-2% तक की गिरावट को हल्की मंदी माना जाता है। ऐसा होने पर असर थोड़े समय के लिए और सीमित दायरे में हो सकता है।
• मध्यम मंदी: जीडीपी में 2-3% तक की गिरावट मध्यम मंदी होती है। इसका देश के विभिन्न क्षेत्रों और लोगों पर व्यापक असर पड़ता है।
• गंभीर मंदी: जीडीपी में 3% से ज्यादा की गिरावट गंभीर मंदी होती है। इसका समाज के हर तबके पर गहरा और लंबे समय तक चलने वाला असर पड़ता है।

2. आर्थिक गिरावट की अवधि :-
• छोटी मंदी: कुछ महीनों तक चलने वाली मंदी को छोटी मंदी माना जाता है। आमतौर पर आर्थिक सुधार जल्दी हो जाता है।
• लंबी मंदी: एक साल या उससे ज्यादा समय तक चलने वाली मंदी को लंबी मंदी कहा जाता है। ऐसे में आर्थिक सुधार में काफी वक्त लग सकता है।

मंदी कितनी खतरनाक होती है, यह इन दोनों पहलुओं पर निर्भर करता है। उदाहरण के लिए, 1% की कम गिरावट लेकिन दो साल तक चलने वाली मंदी, 3% की तेज गिरावट लेकिन कुछ महीनों में ही ठीक हो जाने वाली मंदी से ज्यादा खतरनाक हो सकती है।

मंदी के संकेत (Indicators of a Recession):

मंदी आने से पहले कुछ आर्थिक संकेत मिलने लगते हैं, जैसे:
1. लगातार दो तिमाहियों से जीडीपी में गिरावट: ये सबसे प्रमुख संकेत है।
2. बेरोजगारी दर में वृद्धि: अधिक से अधिक लोगों के बेरोजगार होने से मांग घटती है, जिससे आर्थिक गतिविधियां कमजोर होती हैं।
3. औद्योगिक उत्पादन में कमी: कारखानों आदि में उत्पादन कम होने से अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी पड़ जाती है।
4. खुदरा बिक्री में गिरावट: लोगों की खरीदने की क्षमता घटने से बाजार में मांग कमजोर पड़ती है।
5. शेयर बाजार में गिरावट: अनिश्चितता बढ़ने से निवेशक बाजार से पैसा निकाल लेते हैं, जिससे शेयर बाजार गिरता है।

How do you survive a Recession? (मंदी में तैरने के टिप्स!)

मंदी चुनौतीपूर्ण समय होता है, लेकिन कुछ स्मार्ट तरीकों से इसका सामना किया जा सकता है:
1. खर्चों को नियंत्रित करें: बजट बनाएं और उसका सख्ती से पालन करें। गैर-जरूरी खर्चों को घटाएं। मनोरंजन, बाहर खाने आदि पर कम खर्च करें।
2. बचत बढ़ाएं: जितना हो सके, बचत करें। आपातकालीन फंड बनाएं ताकि अनहोनी की स्थिति में परेशानी न हो।
3. कर्ज कम करें: मौजूदा कर्ज जल्दी चुकाने की कोशिश करें। नए कर्ज लेने से बचें।
4. आय के नए स्रोत तलाशें: पार्ट-टाइम नौकरी या फ्रीलांस काम करके अतिरिक्त आय अर्जित करें। कौशल विकास पर ध्यान दें।
5. निवेश पर सोच-समझकर फैसला करें: जोखिम वाले निवेश से बचें। सुरक्षित निवेश विकल्पों को चुनें. वित्तीय सलाह लें।
6. खरीदारी पर सोचें: हर चीज खरीदने की आदत से बचें. जरूरत के हिसाब से ही खरीदारी करें। बड़ी खरीदारी को टालें।
7. घरेलू उत्पादों का इस्तेमाल करें: आयातित वस्तुओं के बजाय घरेलू उत्पादों का उपयोग करें। इससे पैसे की बचत होगी और स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मदद मिलेगी।
8. सकारात्मक रहें: मंदी से घबराएं नहीं। मुश्किलें हर दौर में आती हैं। सकारात्मक रहें और आर्थिक रूप से मजबूत होने के लिए प्रयास करें।

मंदी के दौरान क्या न खरीदें? (What not to buy during a Recession?)

• गैर-जरूरी और महंगी चीजें
• लक्जरी सामान
• जोखिम वाले निवेश
• महंगी गाड़ियां या गैजेट्स
• बड़े घर या अपार्टमेंट
• गैर-जरूरी कर्ज लेकर खरीदे जाने वाली चीजें


Where to Invest During Recession (मंदी में निवेश: कहां लगाएं अपना पैसा?)

मंदी के दौरान निवेश करना थोड़ा पेचीदा लग सकता है, लेकिन सही रणनीति से आप अपने धन को सुरक्षित रख सकते हैं और मुनाफा भी कमा सकते हैं।
»»»»  आइए, कुछ महत्वपूर्ण बातों पर चर्चा करें:
• सरकारी बॉन्ड्स: ये कम जोखिम वाले निवेश होते हैं, क्योंकि सरकार इनकी गारंटी देती है। ब्याज दर अपेक्षाकृत कम होती है, लेकिन स्थिरता मिलती है।
• बचत खाते: बैंकों में बचत खातों पर भले ही कम ब्याज मिले, लेकिन ये सुरक्षित होते हैं और आसानी से सुलभ होते हैं। आपातकालीन फंड के लिए ये उपयुक्त हैं।
• सोना: सोना पारंपरिक रूप से सुरक्षित निवेश माना जाता है। इसकी कीमत मंदी के दौरान स्थिर रहती है या बढ़ती है। लेकिन, सोने में निवेश से सीधे तौर पर कोई आय नहीं होती।

🤔क्या कोई "सर्वश्रेष्ठ" निवेश होता है?
दुर्भाग्यवश, ऐसा कोई एक निवेश नहीं है जो हर किसी के लिए और हर मंदी में सबसे अच्छा हो। "सर्वश्रेष्ठ" निवेश आपकी व्यक्तिगत परिस्थितियों और जोखिम सहनशीलता पर निर्भर करता है।

♥कुछ अन्य विकल्पों पर विचार करें:
• निवृत्ति निधियां (EPF, PPF): लंबी अवधि के लिए ये अच्छे विकल्प हैं। मंदी के दौरान भी इनमें निवेश सुरक्षित रहता है और कर लाभ भी मिलता है।
• बचत योजनाएं: डाकघर और कुछ बैंक बचत योजनाएं देती हैं, जिनमें गारंटीशुदा रिटर्न मिलता है।
• ब्लू-चिप कंपनियां: मजबूत वित्तीय स्थिति वाली कंपनियों के शेयर अपेक्षाकृत कम जोखिम वाले होते हैं। लेकिन, शेयर बाजार में निवेश से जुड़े जोखिम को ध्यान में रखें।
• रियल एस्टेट: लंबी अवधि में रियल एस्टेट अच्छा रिटर्न दे सकता है, लेकिन मंदी के दौरान इसमें गिरावट भी आ सकती है। गहन शोध और परामर्श जरूरी है।

♥ध्यान देने योग्य बातें:
★ किसी भी निवेश से पहले विशेषज्ञ की सलाह लें। अपनी वित्तीय स्थिति और जोखिम सहनशीलता का आकलन कराएं।
★ विभिन्न निवेश विकल्पों की तुलना करें। रिटर्न, जोखिम, कर, लाभ, आदि को ध्यान में रखें।
★ अनेकता में बल है। अलग-अलग तरह के निवेश में पैसा लगाकर जोखिम कम करें।
★ दीर्घकालिक सोच रखें। मंदी अस्थायी होती है, इसलिए लंबे समय के लिए निवेश करें।
★ घबराएं नहीं, सूझबूझ से काम लें। सही रणनीति से मंदी में भी निवेश से लाभ कमाया जा सकता है।

मंदी में किन उद्योगों पर दबाव कम होता है ??

Recession (मंदी)

मंदी की चुनौतियों के बावजूद कुछ उद्योग अपेक्षाकृत बेहतर प्रदर्शन करते हैं:
1. आवश्यक वस्तुएं: खाद्य और पेय पदार्थ, दवाएं, स्वच्छता उत्पाद, बिजली, पानी आदि की मांग मंदी में भी कम नहीं होती। इन क्षेत्रों में नौकरियां भी स्थिर रहती हैं।
2. स्वास्थ्य सेवा: लोग बीमार पड़ना नहीं रोकते, इसलिए अस्पताल, क्लीनिक, दवा कंपनियां मंदी का कम असर महसूस करती हैं। स्वास्थ्य बीमा क्षेत्र भी स्थिर रहता है।
3. शिक्षा: शिक्षा की डिमांड बढ़ती रहती है। ऑनलाइन शिक्षा का विकल्प भी मौजूद है। निजी स्कूलों पर थोड़ा असर पड़ सकता है, लेकिन शिक्षा क्षेत्र सामान्यतः स्थिर रहता है।
4. उपयोगिताएं: बिजली, पानी, टेलीकम्यूनिकेशन सेवाओं की जरूरत हर किसी को होती है। इन क्षेत्रों में नौकरियां भी सुरक्षित रहती हैं।
5. Discount Retail: आर्थिक मुश्किलों के दौरान लोग कम खर्च करना चाहते हैं। सस्ते सामान बेचने वाली दुकानों का कारोबार मंदी में भी बढ़ सकता है।

मंदी में नौकरी की चिंता: किसे होता है सबसे ज्यादा असर?

मंदी आने पर सबसे पहले दिमाग में नौकरी की चिंता आती है। यह स्वाभाविक है, क्योंकि मंदी के दौरान बेरोजगारी बढ़ जाती है। लेकिन, यह जानना जरूरी है कि सभी पर इसका समान असर नहीं होता। आइए, समझते हैं कि किन लोगों को ज्यादा परेशानी हो सकती है:

★★★ज्यादा खतरा किनको?

♦नए कर्मचारी: कंपनियां लागत कम करने के लिए सबसे पहले नए कर्मचारियों की छंटनी करती हैं। अनुभव कम होने के कारण उन्हें दूसरी नौकरी ढूंढने में भी दिक्कत हो सकती है।
♦निम्न कुशल कर्मचारी: स्वचालन और तकनीकी बदलावों से कम कुशल श्रमिकों की नौकरियां खतरे में पड़ सकती हैं।
♦विशिष्ट उद्योग: मंदी से सभी उद्योग एक समान प्रभावित नहीं होते। निर्माण, रियल एस्टेट, पर्यटन आदि क्षेत्रों में नौकरियां ज्यादा प्रभावित हो सकती हैं।
♦अल्पकालिक अनुबंध वाले कर्मचारी: कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स को स्थायी कर्मचारियों की तुलना में पहले नौकरी से निकाला जा सकता है।

★★★कम खतरा किनको?

♦अनुभवी कर्मचारी: कंपनियां अनुभवी और कुशल कर्मचारियों को बनाए रखने की कोशिश करती हैं।
♦आवश्यक उद्योगों के कर्मचारी: स्वास्थ्य सेवा, खाद्य एवं पेय पदार्थ, शिक्षा आदि क्षेत्रों में नौकरियां अपेक्षाकृत सुरक्षित रहती हैं।
♦डिजिटल कौशल वाले कर्मचारी: ऑनलाइन काम करने का चलन बढ़ने से डिजिटल कौशल वाले लोगों के लिए ज्यादा विकल्प हो सकते हैं।

अपनी नौकरी को सुरक्षित रखने के लिए क्या करें?

» कौशल विकास: नए कौशल सीखें और खुद को अपडेट रखें।
» अच्छा प्रदर्शन: कंपनी में अपना बेस्ट दें और काम में मेहनत करें।
» नेटवर्किंग: अच्छे संबंध बनाएं, ताकि जरूरत पड़ने पर मदद मिल सके।
» वित्तीय तैयारी: आपातकालीन फंड बनाएं और खर्चों को नियंत्रित करें।

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मंदी की रात, मगर उम्मीद की भोर!!

मंदी से गुजरना किसी पहाड़ चढ़ने जैसा है। रास्ते में मुश्किलें आती हैं, सांस फूलती है, मन हार जाता है। लेकिन, याद रखें, पहाड़ की चोटी पर पहुंचने का सुख अलग ही होता है। मंदी भी ऐसी ही एक चुनौती है, और इसे पार किया जा सकता है।
हां, कंपनियां लागत कम करती हैं, बेरोजगारी बढ़ती है, आर्थिक मुश्किलें आती हैं। लेकिन, यह स्थिति हमेशा नहीं रहती। इतिहास गवाह है कि हर मंदी के बाद सुधार हुआ है, अर्थव्यवस्था पटरी पर लौटी है, लोगों ने नई जमीनें खोजी हैं।
हमें हार नहीं माननी है, हिम्मत नहीं हारनी है। इस मुश्किल समय का इस्तेमाल खुद को मजबूत बनाने के लिए करें। नया सीखें, कौशल बढ़ाएं, बचत बढ़ाएं, समझदारी से खर्च करें. नेटवर्क बनाएं, दूसरों की मदद करें।

यह सच है कि आने वाले दिन आसान नहीं होंगे। लेकिन, याद रखें, आप अकेले नहीं हैं। साथ मिलकर, धैर्य और समझदारी से काम लेकर, हम न सिर्फ इस मंदी को पार कर लेंगे, बल्कि इससे अधिक मजबूत होकर निकलेंगे।

हर रात के बाद सुबह होती है, यही प्रकृति का नियम है। आइए, उम्मीद की रोशनी बनाए रखें। आने वाले कल में हम फिर से खुशहाली का सूरज चमकते देखेंगे। हम भारत हैं, और हम हर चुनौती का सामना करने की ताकत रखते हैं।

★★★★★★★साथ मिलकर जीतेंगे★★★★★★★★

अतिरिक्त संसाधन

वित्त मंत्रालय की वेबसाइट: https://dea.gov.in/hi
भारतीय रिजर्व बैंक की वेबसाइट: https://www.rbi.org.in/


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